आरती शनीवार की
आरती श्री काली जी की Shri kaali ji ki Aarati
मंगल की सेवा, सुन मेरी देवा, हाथ जोड़ तेरे द्वार खडे।
पान सुपारी ध्वजा नारियल, ले ज्वाला तेरी भेंट धरे।।
सुन जगदम्बे कर न विलम्बे, सन्तन के भण्डार भरे।
संतन प्रतिपाली सदा खुशहाली, जय काली कल्याण करे।।
बुद्धि विधाता तू जगमाता, मेरा कारज सिद्ध करे।
चरण कमल का लिया आसरा, शरण तुम्हारी आन परे।
जब जब भीर पडे भक्तन पर, तब तब आय सहाय करे।
संतन प्रतिपाली सदा खुशहाली, जय काली कल्याण करे।।
बार आर मै सब जब मोह्यो, तरुणी रूप अनुप धरे।
माता होकर पुत्र खिलावै, कहीं भार्या बन भोग करे।।
संतन सुखदाई सदा सहाई, सन्त खडे जयकार करे।
संतन प्रतिपाली सदा खुशहाली, जय काली कल्याण करे।।
ब्रह्मा विष्णु महेश फल लिये, भेंट देने तब द्वार खडे।
अटल सिंहासन बैठी माता, सिर सोने का छ्त्र फिरे।।
वार शनिश्चर कुमकुम वरणी, जब लंकुड पर हुक्म करे।
संतन प्रतिपाली सदा खुशहाली, जय काली कल्याण करे।।
खड्ग खप्पर त्रिशूल हाथ लिये, रक्तबीज कूं भस्म करे।
शुम्भ निशुम्भ क्षणहि मे मारे, महिषासुर को पकड़ दले।।
आदितवारि आदि की वीरा, जन अपने का कष्ट करे।
संतन प्रतिपाली सदा खुशहाली, जय काली कल्याण करे।।
कुपित् होय के दानव मारे, चंड मुंड सब दूर करे।
जब तुम देखो दया रूप हो, पल में संकट दूर टरे।।
सौम्य स्वभाव धरयो मेरी माता, जनकी अर्ज कबूल करे।
संतन प्रतिपाली सदा खुशहाली, जय काली कल्याण करे।।
सात बार की महिमा बरनी, सबगुण कौन बखान करे।
सिंह पीठ पर चढी भवानी, अटल भवन मे राज करे।।
दर्शन पावे मंगल गावें सिद्ध साधन तेरी भेंट धरे।
संतन प्रतिपाली सदा खुशहाली, जय काली कल्याण करे।।
ब्रह्मा वेद पढे तेरे सब, शिव शंकर हरि ध्यान करे।
इन्द्र कृष्ण तेरी करे आरती, चंवर कुबेर डुलाय रहे।।
जै जननी मेरी मातु भवानी, अचल भवन मे राज्य करे।
संतन प्रतिपाली सदा खुशहाली, जय काली कल्याण करे।।
पान सुपारी ध्वजा नारियल, ले ज्वाला तेरी भेंट धरे।।
सुन जगदम्बे कर न विलम्बे, सन्तन के भण्डार भरे।
संतन प्रतिपाली सदा खुशहाली, जय काली कल्याण करे।।
बुद्धि विधाता तू जगमाता, मेरा कारज सिद्ध करे।
चरण कमल का लिया आसरा, शरण तुम्हारी आन परे।
जब जब भीर पडे भक्तन पर, तब तब आय सहाय करे।
संतन प्रतिपाली सदा खुशहाली, जय काली कल्याण करे।।
बार आर मै सब जब मोह्यो, तरुणी रूप अनुप धरे।
माता होकर पुत्र खिलावै, कहीं भार्या बन भोग करे।।
संतन सुखदाई सदा सहाई, सन्त खडे जयकार करे।
संतन प्रतिपाली सदा खुशहाली, जय काली कल्याण करे।।
ब्रह्मा विष्णु महेश फल लिये, भेंट देने तब द्वार खडे।
अटल सिंहासन बैठी माता, सिर सोने का छ्त्र फिरे।।
वार शनिश्चर कुमकुम वरणी, जब लंकुड पर हुक्म करे।
संतन प्रतिपाली सदा खुशहाली, जय काली कल्याण करे।।
खड्ग खप्पर त्रिशूल हाथ लिये, रक्तबीज कूं भस्म करे।
शुम्भ निशुम्भ क्षणहि मे मारे, महिषासुर को पकड़ दले।।
आदितवारि आदि की वीरा, जन अपने का कष्ट करे।
संतन प्रतिपाली सदा खुशहाली, जय काली कल्याण करे।।
कुपित् होय के दानव मारे, चंड मुंड सब दूर करे।
जब तुम देखो दया रूप हो, पल में संकट दूर टरे।।
सौम्य स्वभाव धरयो मेरी माता, जनकी अर्ज कबूल करे।
संतन प्रतिपाली सदा खुशहाली, जय काली कल्याण करे।।
सात बार की महिमा बरनी, सबगुण कौन बखान करे।
सिंह पीठ पर चढी भवानी, अटल भवन मे राज करे।।
दर्शन पावे मंगल गावें सिद्ध साधन तेरी भेंट धरे।
संतन प्रतिपाली सदा खुशहाली, जय काली कल्याण करे।।
ब्रह्मा वेद पढे तेरे सब, शिव शंकर हरि ध्यान करे।
इन्द्र कृष्ण तेरी करे आरती, चंवर कुबेर डुलाय रहे।।
जै जननी मेरी मातु भवानी, अचल भवन मे राज्य करे।
संतन प्रतिपाली सदा खुशहाली, जय काली कल्याण करे।।