अंक ज्योतिष
अंक ज्योतिष के जरिए खराब वक्त को अच्छा और सुनहरा किया जा सकता है और आने वाले दिनों को बेहतर बनाया जा सकता है। यानि कोई भी अपनी तकदीर संवार सकता है। बशर्ते उसके पास सही और प्रायोगिक जानकारी हो। मानव जीवन में रचे-बसे नंबरों के रहस्य को समझने का प्रयास प्रचीन काल से हो रहा है। दुनियाभर में विद्वानों ने नंबरों की रहस्यमयी सागर में गोता लगाकर उनके मानव जीवन से जुड़वा को जांचने परखने का खूब प्रयास किया है। किसी व्यक्ति का जन्म किसी खास तारीख को होता है। उसकी शादी किसी खास तारीख को होती है। बच्चे के जन्म की तारीख, पहली नौकरी की तारीख, इन सभी नंबरों का उस व्यक्ति से क्या कोई संबंध है? क्या कोई नंबर उसके लिए भाग्यशाली साबित होगा? ऐसे बहुत से सवाल हैं जो हमारे और आपके मन में उठते हैं।
नंबरों की रहस्यमी दुनिया पर शोध प्रचीन काल से होता आ रहा है। भारतीय विद्वान अन्तकाल से अंक विद्या में परांगत थे। उदाहरण के लिए हमारे देश में पूजा-पाठ का बढ़ा महत्व है। सभी धर्मों में निष्ठा रखने वाले प्राय माला द्वारा जप करते हैं। अधिकांश मालाओं में 108 मनक होते हैं आपके मन में ये सवाल उठ सकता है कि माला में 108 ही दाने क्यों होते हैं। 108 से कम या अधिक क्यों नहीं होते हैं। इसके पीछे महत्वपूर्ण रहस्य है। सूर्योदय से लेकर पुन: सूर्योदय तक के काल का परिणाम 60 घड़ी माना गया है। एक घड़ी में 60 पल और एक पल में 60 विपल होते हैं। इस प्रकार एक अहोरात में 60*60*60=2,16,000 विपल हुए, अर्थात दिन में 1,08,000 और रात्रि में इतने ही विपल होते हैं।
दशमलव प्रणाली से शून्य अलग किये जाए तो रह जाएगा 108। इस प्रकार सूर्य भी जब राशि-परिभ्रमण में एक चक्र पूरा कर लेता है तो उसे एक व्रत्त पूरा करना कहा जाता है। एक व्रत्त में 360 अंश होते हैं। सूर्य की प्रदक्षिणा के अंशों की कला बनाई जाए तो 360*60=21,600 कला हुई। सूर्य आधे वर्ष उत्तरायण और आधे वर्ष दक्षिणायन में होता है। इस प्रकार 21600 को आधा किया जाए तो 10800 संख्या प्राप्त होती है। इसलिए 108 अंकों की माला का विधान किया गया। इसी प्रकार विभिन्न मनकों की माला का विधान भी है। जैसे 25 मनकों की माला द्वारा जप करने से मोक्ष्य प्राप्त होता है। 30 मनकों की माला जपने से धन की प्राप्ति होती है। 21 मनकों की माला जपने से सभी अर्थों की सिद्धि होती है। 54 मनकों की माला से सर्व कार्य सिद्धि होती है और 108 मनकों की माला से सभी प्रकार की सिद्दि होती है।
भारतीय ज्योतिष में नौ ग्रहों की प्रधानता है, इसी प्रकार अंक ज्योतिष में भी नौ अंकों को ही मान्यता प्राप्त है। अंक ज्योतिष का आप जितना गहन अध्ययन करेंगे। उतना ही नंबरों का रहस्य आपको दिखाई देगा। आप पाएंगे की सारा संसार नंबरों से प्रभावित है, हर मनुष्य का जीवन नंबरों के आवरण में समाहित है।
पाइथागोरस ने भी कहा है- “इस विश्व का निर्माण अंकों की शक्ति से ही हुआ है।“आपके जीवन में अंकों का कितना महत्व है। किस तरह से अंक आपके जीवन के हर दिन, हर सप्ताह, हर महीने, हर साल को प्रभावित कर रहे हैं। लगातार कुछ अंक आपका पीछा कर रहे हैं। थोड़ा सा अंक ज्योतिष का अध्ययन आप करेंगे तो आसानी से पहचान जाएंगे की कौन सा नंबर आपके जीवन को लगातार प्रभावित कर रहा है। उससे किस प्रकार से फायदा उठाया जा सकता है।
यदि आप सिर्फ अपने जीवन में नंबर का महत्व देखना चाहते हैं तो याद करिए अपनी शादी की तारीख, अपने बच्चों के जन्म की तारीख, वो तारीख जब आपने पहली गाड़ी खरीदी, जब आपको पहली नौकरी मिली, जब आपने पहला मकान खरीदा। आपकों यदि ये सब तारीखें याद हों तो आप देखेंगे की कैसे कुछ नंबर आपकी जिंदगी में रचे-बसे हुए हैं।
चलिए उदाहरण से नंबरों का महत्व समझते हैं। अमेरिका दुनिया का सबसे अधिक शक्तिशाली देश है। आप देखेंगे की अमेरिका के जीवन में 13 नंबर रचा बसा है। अमेरिका के राष्ट्रध्वज में 13 धारियां हैं, तेरा बाण हैं। ईगल के ऊपर 13 सितारें हैं, और झंडे में भी 13 ही पत्तियां हैं। अमेरिका जब स्वतंत्र हुआ तो वहां 13 राज्य थे। और आपको यह जानकर आश्चर्य होगा की अमेरिका के स्वतंत्रता के घोषणा पत्र पर 13 व्यक्तियों के की हस्ताक्षर थे।
वहीं दूसरी तरफ यहूदी लोग 13 नंबर को अशुभ मानते हैं। वो तर्क देते हैं कि ईसा मसीह के बलिदान के पूर्व एक भोज हुआ था जिसमें 13 लोग शामिल हुए थे। इसलिए यहूदी लोग 13 नंबर से बहुत बचते हैं। यहां तक कि वे अपने होटलों में 13 नंबर का कमरा नहीं रखते हैं उसे 12 ए कर देते हैं। 13 नंबर को अशुभ मानने वाले यहूदी भाई 7 नंबर
को विशेष महत्व देते हैं। वहीं दूसरी तरफ यहूदी लोग 13 नंबर को अशुभ मानते हैं। वो तर्क देते हैं कि ईसा मसीह के बलिदान के पूर्व एक भोज हुआ था जिसमें 13 लोग शामिल हुए थे। इसलिए यहूदी लोग 13 नंबर से बहुत बचते हैं। यहां तक कि वे अपने होटलों में 13 नंबर का कमरा नहीं रखते हैं उसे 12 ए कर देते हैं। 13 नंबर को अशुभ मानने वाले यहूदी भाई 7 नंबर को विशेष महत्व देते हैं।
नंबरों का गहन अध्ययन करने पर ये बात सामने आई है कि एक नंबर किसी खास व्यक्ति के लिए शुभ हो सकता है। लेकिन दूसरे व्यक्ति के लिए वही अंक अशुभ भी हो सकता है। यदि आप नंबरों के रहस्य को समझना चाहते हैं तो अपने जीवन की कुछ महत्वपूर्ण घटनाओं के घटित होने की तारीख एक कागज में नोट कर लें। तो आपको उनमें एक सिलसिला, एक तारतम्यता दिखाई देगी। या तो वे घटनाएं किसी नंबर विशेष वाली तारीख को घटित हुई होंगी या सुनिश्चित अन्तराल के बाद घटी होंगी। इसमें आप यह भी अनुमान लगा सकेंगे कि आपके जीवन के आने वाले वर्षो में भी इतने ही अन्तराल पर इसी प्रकार की घटनाएं घटती रहेंगी।
इससे यह निष्कर्स निकाला जा सकता है कि कौन सा नंबर आपके लिए शुभ है और कौन सा अशुभ है। शुभ अंक का पता लग जाने पर आप उसी के अनुसार काम करेंगे तो आप देखेंगे की आपको बहुत लाभ हो रहा है।
यूनानी दार्शनिक पाइथागोरस एक महान अंकशास्त्री थे। उनके मत को मानने वालों का एक बहुत बढ़ा समुदाय था। पाइथागोरस का विश्वास था कि अंकों में महान शक्ति छिपी हुई है। उन्होंने अंकों के गूढ़ रहस्यों को जाना, परखा और उसी के बलबूते पर प्रगति की। यूनान में उनकी यह एक लोकोक्ति प्रसिद्धि थी कि विश्व के रहस्य अंकों में ही छिपे पड़े हैं। पाइथागोरस ने ही कहा है- सभी रचनाओं, स्वरूपों और विचारों का स्वामी अंक है और यही देवताओं और राक्षसों का जनक है।
यदि आप अंकों को गहराई से समझने का प्रयास करेंगे तो देखेंगे की अंक की लीला बहुत विचित्र है। अंकों में ही अखिल ब्रह्मांड समाया हुआ है। अंकों का आरंभ शून्य से होता है और शून्य में ही विलीन हो जाते हैं। अंकों का प्रतिनिधि अंक 10 को माना जाता है। यदि नंबरों को एक क्रम में लिखकर, शुरु के अंक को अंत के अंक से जोड़े तो 10 अंक ही प्राप्त होता है। आइए देखते हैं कैसे ?
1 2 3 4 5 6 7 8 9
1+9=10
2+8=10
3+7=10
4+6=10
आपने देखा की आदि के अंक से अंत के अंक को जोड़ने पर हमें 10 प्राप्त होता है। 10 नंबर को अंक ज्योतिष में विशेष महत्व दिया जाता है। एक चीज और आपने उपर के उदाहण में देखी होगी अंक 5 कहीं जोड़ने के क्रम में नजर नहीं आया। नंबर 5 बहुत ही महत्वपूर्ण अंक है। यह पंचतत्वों का प्रतिनिधित्व करता है। प्राचीन जातियां इस अंक को बहुत आदर से देखती थीं। चीन में ही नहीं, भारत में भी पांच को सदा से पंच परमेश्वर के रूप में मानते हैं। चीन की सभ्यता बहुत प्राचीन मानी जाती है। अत: उसके प्रत्येक कार्य में 5 का विशेष महत्व है।
देखा जाए तो मानव शरीर में भी 5 अंक का बहुत महत्व है। हमारे हाथ में 5 अंगुलियां है, हमारे पांव में 5 अंगुलियां है, 5 तत्व की मनुष्य के शरीर के निर्माता माने जाते हैं- पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु और आकाश। संसार में 5 ही प्रमुख द्रव्य माने जाते हैं- मिट्टी, लकड़ी, धातु , अग्नि और जल। हमारा शरीर भी पंच तत्वों से ही बना हुआ है। और मरने के बाद पुन: पंच तत्व में विलीन हो जाता है। इसे तुलसीदास ने बड़े सुंदर शब्दों में व्यक्त किया है। क्षित,जल पावक गगन समीरा, पंच रचित यह अधम शरीरा। इस प्रकार देखा जाए तो 5 अंक मनुष्य के जीवन और मरण से इस प्रकार जुड़ा हुआ है कि उसे अलग नहीं किया जा सकता है।
भारतीय ज्योतिष तथा यंत्र. मंत्र, तंत्र और हस्तरेखा विज्ञान में भी अंकों का महत्व किसी से छिपा नहीं है। अंकों के योगदान के बिना इनमें से किसी का काम नहीं चल सकता है। ज्योतिष का आधार गणित है। अंकों का प्रयोग करके गणना की जाती है। यदि कोई व्यक्ति अपने जीवन की प्रमुख घटनाओं का विवरण तैयार करे, तो उसे उनमें एक तारतम्य मिलेगी। या तो वे घटनाएं किसी विशेष तारीख को घटित हुई होंगी। अथवा उन तारीखों का मूल अंक या संयुक्त अंक मिलता होगा।
यदि आप अंकों के रहस्य को समझ ले तो आपके घनिष्ट मित्र के समान अंक आपकी बहुत सहायता करते हैं। अंक अंधविश्वास नहीं, वास्तविकता है।
एक सप्ताह में सात दिन
संगीत में सात स्वर
कीरो की मान्यता है कि प्रकृति भी अंकों के इशारों पर चलती है। कीरों कहते हैं कि 7 अंक प्रभु की शक्ति का स्वरूप है। इसी अंक के द्वारा प्रभु की रहस्यमयी शक्तियों का वर्णन किया जा सकता है। सभी देशों, सभी भाषाओं और सभी धर्मों में सप्ताह के दिन सात ही हैं और एक समान ही सातों ग्रहों के नामों का स्मरण कराते हैं। हिन्दू, मिश्र, ग्रीक, लैटिन , फ्रैंच, चीनी. जर्मन, अंग्रेजी और संस्कृत में भी सातों दिनों के नाम समानार्थी हैं। सण्डे- सन डे- हिन्दी में रविवार (सूर्य का दिन) आप देखेंगे की सभी भाषाओं में प्रयुक्त शब्द पूर्णतया समानार्थी हैं और सारे विश्व में एक समान भावना से देखा जाता है।
नंबरों की रहस्यमी दुनिया पर शोध प्रचीन काल से होता आ रहा है। भारतीय विद्वान अन्तकाल से अंक विद्या में परांगत थे। उदाहरण के लिए हमारे देश में पूजा-पाठ का बढ़ा महत्व है। सभी धर्मों में निष्ठा रखने वाले प्राय माला द्वारा जप करते हैं। अधिकांश मालाओं में 108 मनक होते हैं आपके मन में ये सवाल उठ सकता है कि माला में 108 ही दाने क्यों होते हैं। 108 से कम या अधिक क्यों नहीं होते हैं। इसके पीछे महत्वपूर्ण रहस्य है। सूर्योदय से लेकर पुन: सूर्योदय तक के काल का परिणाम 60 घड़ी माना गया है। एक घड़ी में 60 पल और एक पल में 60 विपल होते हैं। इस प्रकार एक अहोरात में 60*60*60=2,16,000 विपल हुए, अर्थात दिन में 1,08,000 और रात्रि में इतने ही विपल होते हैं।
दशमलव प्रणाली से शून्य अलग किये जाए तो रह जाएगा 108। इस प्रकार सूर्य भी जब राशि-परिभ्रमण में एक चक्र पूरा कर लेता है तो उसे एक व्रत्त पूरा करना कहा जाता है। एक व्रत्त में 360 अंश होते हैं। सूर्य की प्रदक्षिणा के अंशों की कला बनाई जाए तो 360*60=21,600 कला हुई। सूर्य आधे वर्ष उत्तरायण और आधे वर्ष दक्षिणायन में होता है। इस प्रकार 21600 को आधा किया जाए तो 10800 संख्या प्राप्त होती है। इसलिए 108 अंकों की माला का विधान किया गया। इसी प्रकार विभिन्न मनकों की माला का विधान भी है। जैसे 25 मनकों की माला द्वारा जप करने से मोक्ष्य प्राप्त होता है। 30 मनकों की माला जपने से धन की प्राप्ति होती है। 21 मनकों की माला जपने से सभी अर्थों की सिद्धि होती है। 54 मनकों की माला से सर्व कार्य सिद्धि होती है और 108 मनकों की माला से सभी प्रकार की सिद्दि होती है।
भारतीय ज्योतिष में नौ ग्रहों की प्रधानता है, इसी प्रकार अंक ज्योतिष में भी नौ अंकों को ही मान्यता प्राप्त है। अंक ज्योतिष का आप जितना गहन अध्ययन करेंगे। उतना ही नंबरों का रहस्य आपको दिखाई देगा। आप पाएंगे की सारा संसार नंबरों से प्रभावित है, हर मनुष्य का जीवन नंबरों के आवरण में समाहित है।
पाइथागोरस ने भी कहा है- “इस विश्व का निर्माण अंकों की शक्ति से ही हुआ है।“आपके जीवन में अंकों का कितना महत्व है। किस तरह से अंक आपके जीवन के हर दिन, हर सप्ताह, हर महीने, हर साल को प्रभावित कर रहे हैं। लगातार कुछ अंक आपका पीछा कर रहे हैं। थोड़ा सा अंक ज्योतिष का अध्ययन आप करेंगे तो आसानी से पहचान जाएंगे की कौन सा नंबर आपके जीवन को लगातार प्रभावित कर रहा है। उससे किस प्रकार से फायदा उठाया जा सकता है।
यदि आप सिर्फ अपने जीवन में नंबर का महत्व देखना चाहते हैं तो याद करिए अपनी शादी की तारीख, अपने बच्चों के जन्म की तारीख, वो तारीख जब आपने पहली गाड़ी खरीदी, जब आपको पहली नौकरी मिली, जब आपने पहला मकान खरीदा। आपकों यदि ये सब तारीखें याद हों तो आप देखेंगे की कैसे कुछ नंबर आपकी जिंदगी में रचे-बसे हुए हैं।
चलिए उदाहरण से नंबरों का महत्व समझते हैं। अमेरिका दुनिया का सबसे अधिक शक्तिशाली देश है। आप देखेंगे की अमेरिका के जीवन में 13 नंबर रचा बसा है। अमेरिका के राष्ट्रध्वज में 13 धारियां हैं, तेरा बाण हैं। ईगल के ऊपर 13 सितारें हैं, और झंडे में भी 13 ही पत्तियां हैं। अमेरिका जब स्वतंत्र हुआ तो वहां 13 राज्य थे। और आपको यह जानकर आश्चर्य होगा की अमेरिका के स्वतंत्रता के घोषणा पत्र पर 13 व्यक्तियों के की हस्ताक्षर थे।
वहीं दूसरी तरफ यहूदी लोग 13 नंबर को अशुभ मानते हैं। वो तर्क देते हैं कि ईसा मसीह के बलिदान के पूर्व एक भोज हुआ था जिसमें 13 लोग शामिल हुए थे। इसलिए यहूदी लोग 13 नंबर से बहुत बचते हैं। यहां तक कि वे अपने होटलों में 13 नंबर का कमरा नहीं रखते हैं उसे 12 ए कर देते हैं। 13 नंबर को अशुभ मानने वाले यहूदी भाई 7 नंबर
को विशेष महत्व देते हैं। वहीं दूसरी तरफ यहूदी लोग 13 नंबर को अशुभ मानते हैं। वो तर्क देते हैं कि ईसा मसीह के बलिदान के पूर्व एक भोज हुआ था जिसमें 13 लोग शामिल हुए थे। इसलिए यहूदी लोग 13 नंबर से बहुत बचते हैं। यहां तक कि वे अपने होटलों में 13 नंबर का कमरा नहीं रखते हैं उसे 12 ए कर देते हैं। 13 नंबर को अशुभ मानने वाले यहूदी भाई 7 नंबर को विशेष महत्व देते हैं।
नंबरों का गहन अध्ययन करने पर ये बात सामने आई है कि एक नंबर किसी खास व्यक्ति के लिए शुभ हो सकता है। लेकिन दूसरे व्यक्ति के लिए वही अंक अशुभ भी हो सकता है। यदि आप नंबरों के रहस्य को समझना चाहते हैं तो अपने जीवन की कुछ महत्वपूर्ण घटनाओं के घटित होने की तारीख एक कागज में नोट कर लें। तो आपको उनमें एक सिलसिला, एक तारतम्यता दिखाई देगी। या तो वे घटनाएं किसी नंबर विशेष वाली तारीख को घटित हुई होंगी या सुनिश्चित अन्तराल के बाद घटी होंगी। इसमें आप यह भी अनुमान लगा सकेंगे कि आपके जीवन के आने वाले वर्षो में भी इतने ही अन्तराल पर इसी प्रकार की घटनाएं घटती रहेंगी।
इससे यह निष्कर्स निकाला जा सकता है कि कौन सा नंबर आपके लिए शुभ है और कौन सा अशुभ है। शुभ अंक का पता लग जाने पर आप उसी के अनुसार काम करेंगे तो आप देखेंगे की आपको बहुत लाभ हो रहा है।
यूनानी दार्शनिक पाइथागोरस एक महान अंकशास्त्री थे। उनके मत को मानने वालों का एक बहुत बढ़ा समुदाय था। पाइथागोरस का विश्वास था कि अंकों में महान शक्ति छिपी हुई है। उन्होंने अंकों के गूढ़ रहस्यों को जाना, परखा और उसी के बलबूते पर प्रगति की। यूनान में उनकी यह एक लोकोक्ति प्रसिद्धि थी कि विश्व के रहस्य अंकों में ही छिपे पड़े हैं। पाइथागोरस ने ही कहा है- सभी रचनाओं, स्वरूपों और विचारों का स्वामी अंक है और यही देवताओं और राक्षसों का जनक है।
यदि आप अंकों को गहराई से समझने का प्रयास करेंगे तो देखेंगे की अंक की लीला बहुत विचित्र है। अंकों में ही अखिल ब्रह्मांड समाया हुआ है। अंकों का आरंभ शून्य से होता है और शून्य में ही विलीन हो जाते हैं। अंकों का प्रतिनिधि अंक 10 को माना जाता है। यदि नंबरों को एक क्रम में लिखकर, शुरु के अंक को अंत के अंक से जोड़े तो 10 अंक ही प्राप्त होता है। आइए देखते हैं कैसे ?
1 2 3 4 5 6 7 8 9
1+9=10
2+8=10
3+7=10
4+6=10
आपने देखा की आदि के अंक से अंत के अंक को जोड़ने पर हमें 10 प्राप्त होता है। 10 नंबर को अंक ज्योतिष में विशेष महत्व दिया जाता है। एक चीज और आपने उपर के उदाहण में देखी होगी अंक 5 कहीं जोड़ने के क्रम में नजर नहीं आया। नंबर 5 बहुत ही महत्वपूर्ण अंक है। यह पंचतत्वों का प्रतिनिधित्व करता है। प्राचीन जातियां इस अंक को बहुत आदर से देखती थीं। चीन में ही नहीं, भारत में भी पांच को सदा से पंच परमेश्वर के रूप में मानते हैं। चीन की सभ्यता बहुत प्राचीन मानी जाती है। अत: उसके प्रत्येक कार्य में 5 का विशेष महत्व है।
देखा जाए तो मानव शरीर में भी 5 अंक का बहुत महत्व है। हमारे हाथ में 5 अंगुलियां है, हमारे पांव में 5 अंगुलियां है, 5 तत्व की मनुष्य के शरीर के निर्माता माने जाते हैं- पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु और आकाश। संसार में 5 ही प्रमुख द्रव्य माने जाते हैं- मिट्टी, लकड़ी, धातु , अग्नि और जल। हमारा शरीर भी पंच तत्वों से ही बना हुआ है। और मरने के बाद पुन: पंच तत्व में विलीन हो जाता है। इसे तुलसीदास ने बड़े सुंदर शब्दों में व्यक्त किया है। क्षित,जल पावक गगन समीरा, पंच रचित यह अधम शरीरा। इस प्रकार देखा जाए तो 5 अंक मनुष्य के जीवन और मरण से इस प्रकार जुड़ा हुआ है कि उसे अलग नहीं किया जा सकता है।
भारतीय ज्योतिष तथा यंत्र. मंत्र, तंत्र और हस्तरेखा विज्ञान में भी अंकों का महत्व किसी से छिपा नहीं है। अंकों के योगदान के बिना इनमें से किसी का काम नहीं चल सकता है। ज्योतिष का आधार गणित है। अंकों का प्रयोग करके गणना की जाती है। यदि कोई व्यक्ति अपने जीवन की प्रमुख घटनाओं का विवरण तैयार करे, तो उसे उनमें एक तारतम्य मिलेगी। या तो वे घटनाएं किसी विशेष तारीख को घटित हुई होंगी। अथवा उन तारीखों का मूल अंक या संयुक्त अंक मिलता होगा।
यदि आप अंकों के रहस्य को समझ ले तो आपके घनिष्ट मित्र के समान अंक आपकी बहुत सहायता करते हैं। अंक अंधविश्वास नहीं, वास्तविकता है।
एक सप्ताह में सात दिन
संगीत में सात स्वर
कीरो की मान्यता है कि प्रकृति भी अंकों के इशारों पर चलती है। कीरों कहते हैं कि 7 अंक प्रभु की शक्ति का स्वरूप है। इसी अंक के द्वारा प्रभु की रहस्यमयी शक्तियों का वर्णन किया जा सकता है। सभी देशों, सभी भाषाओं और सभी धर्मों में सप्ताह के दिन सात ही हैं और एक समान ही सातों ग्रहों के नामों का स्मरण कराते हैं। हिन्दू, मिश्र, ग्रीक, लैटिन , फ्रैंच, चीनी. जर्मन, अंग्रेजी और संस्कृत में भी सातों दिनों के नाम समानार्थी हैं। सण्डे- सन डे- हिन्दी में रविवार (सूर्य का दिन) आप देखेंगे की सभी भाषाओं में प्रयुक्त शब्द पूर्णतया समानार्थी हैं और सारे विश्व में एक समान भावना से देखा जाता है।