Akash Ganga Paying Guest (A/C) only for Girls, #1108, Sec 13, Kurukshetra-136118
सांख्य दर्शन
परिणामवादी जब तक जीवित है तब तक शब्दिकों का विवर्तवाद कैसे आदरणीय होगा उनका यह डिंडिमा है कि संक्षेप से सांख्यशास्त्र में पदार्थ के चार क्रम है कोई पदार्थ केवल प्रकृति और कोई पदार्थ केवल विकृति कोई-२ प्रकृति विकृतिरूप और कोई उभय भिन्न है। प्रधान पद बोध्य मूल प्रकृति केवल प्रकृति है वह अन्य का विकार नहीं।
अतिशय रूप से कार्य को करें इत्यर्थक प्रकृति पद सत्त्वादी गुण त्रय की न्यूनाधिक भावना पण अवस्था विशेष बोधक है मूल रूप प्रकृति अर्थात महदादि समस्त कार्यों का मूल कारन हिसका कर्नांतर नहीं अन्यथा अनवस्था दोष होगा बीजांकुर न्याय से अनवस्था दोष परिहार नहीं कर सकते क्योंकि बीजांकुर न्याय प्रमाण सद्भाव में प्रवृत्त होता है।
अतिशय रूप से कार्य को करें इत्यर्थक प्रकृति पद सत्त्वादी गुण त्रय की न्यूनाधिक भावना पण अवस्था विशेष बोधक है मूल रूप प्रकृति अर्थात महदादि समस्त कार्यों का मूल कारन हिसका कर्नांतर नहीं अन्यथा अनवस्था दोष होगा बीजांकुर न्याय से अनवस्था दोष परिहार नहीं कर सकते क्योंकि बीजांकुर न्याय प्रमाण सद्भाव में प्रवृत्त होता है।