Siddhant सिद्धांत स्कन्ध
नारद जी कहते है कि इस गणित स्कन्ध मे परिकर्म योग, अन्तर, गुणक, भजन, वर्ग, वर्गमूल, घन और घनमूल तथा ग्रहों के माध्यम एवं स्पष्ट करने की रीतियां बतायी गयी है। साथ ही अनुयोग, चन्द्रग्रहण, सूर्यग्रहण, उदय, अस्त, छायाधिकार, चन्द्रषृगोन्न्ति, ग्रहयुति तथ पात का साधन - प्रकार बताया गया है।
नारदीय संहिता के कितने ही श्लोक ज्यों के त्यों सूर्य सिद्धांत मे प्राप्त होते है। आर्ष सिद्धांत मे सबसे अधिक प्रामाणिक तथा सूक्षम गणना वाला गणित सिद्धान्त 'सूर्यसिद्धांत' माना जाता है। गणित ज्योतिष मे सूर्य सिद्धान्त का नाम अत्यन्त विख्यात है। भारत के अधिकांश पंचांग इसी आधार पर बनते है। सूर्य सिद्धांत 14 अधिकारों और अध्यायों मे विभाजित है। इसके पूर्वार्ध मे 11 अध्याय और उत्तरार्ध मे 3 अध्याय है। भास्कराचार्य का सूर्यसिद्धांत तथा पाटि गणित नारदीय ज्योतिष से प्रभावित है।