श्री गंगा जी की आरती Shri Ganga ji ki Aarati
ओम जय गन्गे माता, श्री जय गन्गे माता,
जो नर तुमको ध्याता, मनवांछित फल पाता।
ओम जय गन्गे ..........
चन्द्र सी ज्योति तुम्हारी जल निर्मल आता,
शरण पडे जो तेरी सो नर तर जाता।
ओम जय गन्गे ..........
पुत्र सगर के तारे सब जग को ज्ञाता,
कृपा दृष्टि तुम्हारी त्रिभुवन सुख दाता।।
ओम जय गन्गे ..........
एक ही बार जो तेरी शरणागति आता,
यम की त्रास मिटा कर परमगति पाता
ओम जय गन्गे ..........
आरती मात तुम्हारी जो जन नित गाता,
अर्जुन वही सहज मे मुक्ति को पाता।
ओम जय गन्गे ..........
जो नर तुमको ध्याता, मनवांछित फल पाता।
ओम जय गन्गे ..........
चन्द्र सी ज्योति तुम्हारी जल निर्मल आता,
शरण पडे जो तेरी सो नर तर जाता।
ओम जय गन्गे ..........
पुत्र सगर के तारे सब जग को ज्ञाता,
कृपा दृष्टि तुम्हारी त्रिभुवन सुख दाता।।
ओम जय गन्गे ..........
एक ही बार जो तेरी शरणागति आता,
यम की त्रास मिटा कर परमगति पाता
ओम जय गन्गे ..........
आरती मात तुम्हारी जो जन नित गाता,
अर्जुन वही सहज मे मुक्ति को पाता।
ओम जय गन्गे ..........