Hora होरा
नारद पुराण के जातक स्कन्ध मे 370 श्लोक हैं। जातक सम्बन्धी ऎसे विलक्षण योगों एवं राजयोगों का वर्णन है, जिनका अस्तित्व अन्य जातक ग्रन्थों मे भी नही मिलता। इसमे बारह राशियों का कालरूप के मस्तक, मुख सहित अन्य अंगो का निरूपण करके राशियो के स्वामी बताये गये है।
गुरु, शनि, सूर्य, बुध, मंगल, शुक्र, चन्द्र, राहू और केतू ये नो ग्रह बारह राशियों मेष, वृष, मिथुन, कर्क, सिंह, कन्या, तुला, वृश्चिक, धनु, मकर, कुम्भ और मीन के स्वामी है। राशि, होरा, द्रेष्कोण, त्रिंशांश, द्वादशांश, नवमांश - ये षड्वर्ग है। इसके बाद ग्रहो के शील गुण का निरूपण, ग्रहों की दृष्टि, ग्रह मैत्री, बल, वियोनिजन्म, आधानलग्न निरूपण, गर्भमासों के अधिपति, आयुर्दाय, दशा, अन्तरदशा, अष्ट्कवर्ग एवं विभिन्न योग तथा उनका फ़ल, राशिफल द्वादश भावों मे ग्रहों का फल, आदि बातें निरूपित हैं।
गुरु, शनि, सूर्य, बुध, मंगल, शुक्र, चन्द्र, राहू और केतू ये नो ग्रह बारह राशियों मेष, वृष, मिथुन, कर्क, सिंह, कन्या, तुला, वृश्चिक, धनु, मकर, कुम्भ और मीन के स्वामी है। राशि, होरा, द्रेष्कोण, त्रिंशांश, द्वादशांश, नवमांश - ये षड्वर्ग है। इसके बाद ग्रहो के शील गुण का निरूपण, ग्रहों की दृष्टि, ग्रह मैत्री, बल, वियोनिजन्म, आधानलग्न निरूपण, गर्भमासों के अधिपति, आयुर्दाय, दशा, अन्तरदशा, अष्ट्कवर्ग एवं विभिन्न योग तथा उनका फ़ल, राशिफल द्वादश भावों मे ग्रहों का फल, आदि बातें निरूपित हैं।