आरती केदारनाथ की आरती Kedarnath ki Aarti
जय केदार उदार शंकर, मन भयंकर दु:ख हरम।
गौरी गणपति स्कन्द नन्दी, श्री केदार नमाम्यहम।।
शैल सुन्दर अति हिमालय, शुभ्र मन्दिर सुन्दरम।
निकट मंदाकिनी सरस्वती, जय केदार नमाम्यहम।।
उदक कुंड है अधम पावन, रेतस कुंड मनोहरम।
हंस कुण्ड समीप सुन्दर, जय केदार नमाम्यहम।।
अन्नपूर्णा सह अपर्णा, काल भैरव शोभितम।
पंच पांडव द्रोपदी सह, जय केदार नमाम्यहम।।
शिव दिगम्बर भस्मधारी, अर्द्ध चंन्द्र विभुषितम्।
शीश गंगा कण्ठ फणिपति, जय केदार नमाम्यहम।।
कर त्रिशूल विशाल डमरू, ज्ञान गान विशादरम।
मद्महेश्वर तुंग ईश्वर, रुद्र कल्प महेश्वरम।।
पंच धन्य विशाल आलय, जय केदार नमाम्यहम।।
नाथ पावन हे विशालम, पुण्यप्रद हर दर्शनम।
जय केदार उदार शंकर पाप ताप नमाम्यहम।।
गौरी गणपति स्कन्द नन्दी, श्री केदार नमाम्यहम।।
शैल सुन्दर अति हिमालय, शुभ्र मन्दिर सुन्दरम।
निकट मंदाकिनी सरस्वती, जय केदार नमाम्यहम।।
उदक कुंड है अधम पावन, रेतस कुंड मनोहरम।
हंस कुण्ड समीप सुन्दर, जय केदार नमाम्यहम।।
अन्नपूर्णा सह अपर्णा, काल भैरव शोभितम।
पंच पांडव द्रोपदी सह, जय केदार नमाम्यहम।।
शिव दिगम्बर भस्मधारी, अर्द्ध चंन्द्र विभुषितम्।
शीश गंगा कण्ठ फणिपति, जय केदार नमाम्यहम।।
कर त्रिशूल विशाल डमरू, ज्ञान गान विशादरम।
मद्महेश्वर तुंग ईश्वर, रुद्र कल्प महेश्वरम।।
पंच धन्य विशाल आलय, जय केदार नमाम्यहम।।
नाथ पावन हे विशालम, पुण्यप्रद हर दर्शनम।
जय केदार उदार शंकर पाप ताप नमाम्यहम।।
आरती बदरीनाथ की Vishal Badri ki Aarti
पवन मंद सुगन्ध शीतल हेम मन्दिर शोभितम।
निकट गंगा बहत निर्मल श्री बद्रीनाथ विश्वम्भ्रम।।
शेष सुमिरन करत निशदिन धरत ध्यान महेश्वरम।
श्री वेद ब्रह्मा करत स्तुति श्री बद्रीनाथ विश्वम्भ्रम।।
शक्ति गौरी गणेश शारद नारद मुनि उच्चारणम।
जोग ध्यान अपार लीला श्री बद्रीनाथ विश्वम्भ्रम।।
इन्द्र चन्द्र कुबेर धुनि कर धूप दीप प्रकाशितम।
सिद्ध मुनिजन करत जय जय बद्रीनाथ विश्वम्भ्रम।।
यक्ष किन्नर करत कौतुक ज्ञान गंधर्व प्रकाशितम।
श्री लक्ष्मी कमला चंवर डोले श्री बद्रीनाथ विश्वम्भ्रम।।
कैलाश मे एक देव निरंजन शैल शिखर महेश्वरम।
राजा युधिष्ठिर करत स्तुति श्री बद्रीनाथ विश्वम्भ्रम।।
श्री बद्री जी के पंच रत्न चढ़त पाप विनाशनम।
कोटि तीर्थ भवेत पुण्य प्राप्यते फलदायकम।।
निकट गंगा बहत निर्मल श्री बद्रीनाथ विश्वम्भ्रम।।
शेष सुमिरन करत निशदिन धरत ध्यान महेश्वरम।
श्री वेद ब्रह्मा करत स्तुति श्री बद्रीनाथ विश्वम्भ्रम।।
शक्ति गौरी गणेश शारद नारद मुनि उच्चारणम।
जोग ध्यान अपार लीला श्री बद्रीनाथ विश्वम्भ्रम।।
इन्द्र चन्द्र कुबेर धुनि कर धूप दीप प्रकाशितम।
सिद्ध मुनिजन करत जय जय बद्रीनाथ विश्वम्भ्रम।।
यक्ष किन्नर करत कौतुक ज्ञान गंधर्व प्रकाशितम।
श्री लक्ष्मी कमला चंवर डोले श्री बद्रीनाथ विश्वम्भ्रम।।
कैलाश मे एक देव निरंजन शैल शिखर महेश्वरम।
राजा युधिष्ठिर करत स्तुति श्री बद्रीनाथ विश्वम्भ्रम।।
श्री बद्री जी के पंच रत्न चढ़त पाप विनाशनम।
कोटि तीर्थ भवेत पुण्य प्राप्यते फलदायकम।।