Akash Ganga Paying Guest (A/C) only for Girls, #1108, Sec 13, Kurukshetra-136118
आरती कुंजबिहारी की
आरती कुँज बिहारी की श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की ॥
गले में वैजन्ती माला,
बजावे मुरली मधुर बाला,
श्रवण में कुण्डल झलकाला,
नन्द के नन्द,
श्री आनन्द कन्द,
मोहन बॄज चन्द
राधिका रमण बिहारी की
श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की ॥
गगन सम अंग कान्ति काली,
राधिका चमक रही आली,
लसन में ठाड़े वनमाली,
भ्रमर सी अलक,
कस्तूरी तिलक,
चन्द्र सी झलक
ललित छवि श्यामा प्यारी की
श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की ॥
जहाँ से प्रगट भयी गंगा,
कलुष कलि हारिणि श्री गंगा,
स्मरण से होत मोह भंगा,
बसी शिव शीश,
जटा के बीच,
हरे अघ कीच
चरण छवि श्री बनवारी की
श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की ॥
कनकमय मोर मुकुट बिलसै,
देवता दरसन को तरसै,
गगन सों सुमन राशि बरसै,
अजेमुरचन
मधुर मृदंग
मालिनि संग
अतुल रति गोप कुमारी की
श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की ॥
चमकती उज्ज्वल तट रेणु,
बज रही बृन्दावन वेणु,
चहुँ दिसि गोपि काल धेनु,
कसक मृद मंग,
चाँदनि चन्द,
खटक भव भन्ज
टेर सुन दीन भिखारी की
श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की ॥
गले में वैजन्ती माला,
बजावे मुरली मधुर बाला,
श्रवण में कुण्डल झलकाला,
नन्द के नन्द,
श्री आनन्द कन्द,
मोहन बॄज चन्द
राधिका रमण बिहारी की
श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की ॥
गगन सम अंग कान्ति काली,
राधिका चमक रही आली,
लसन में ठाड़े वनमाली,
भ्रमर सी अलक,
कस्तूरी तिलक,
चन्द्र सी झलक
ललित छवि श्यामा प्यारी की
श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की ॥
जहाँ से प्रगट भयी गंगा,
कलुष कलि हारिणि श्री गंगा,
स्मरण से होत मोह भंगा,
बसी शिव शीश,
जटा के बीच,
हरे अघ कीच
चरण छवि श्री बनवारी की
श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की ॥
कनकमय मोर मुकुट बिलसै,
देवता दरसन को तरसै,
गगन सों सुमन राशि बरसै,
अजेमुरचन
मधुर मृदंग
मालिनि संग
अतुल रति गोप कुमारी की
श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की ॥
चमकती उज्ज्वल तट रेणु,
बज रही बृन्दावन वेणु,
चहुँ दिसि गोपि काल धेनु,
कसक मृद मंग,
चाँदनि चन्द,
खटक भव भन्ज
टेर सुन दीन भिखारी की
श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की ॥
आरती कृष्णचंद्र जी की
आरती युगल किशोर की कीजै।
तन-मन-धन न्यौछावर कीजै।।
गौर श्याम मुख निखरत रीजै।
प्रभु का रूप नयन भर पीजै।।
रवि शशि कोटि बदन की शोभा।
ताहि निरखि मेरा मन लोभा।।
कंचन थार कपूर की बाती।
हरि आये निर्मल भई छाती।।
फूलन की सेज फूलन की माला।
रत्न सिंहासन बैठे नन्दलाला।।
मोर मुकुट कर मुरली सोहै।
नटवर वेष देख मन मोहै।।
औढे़ नील पीत पट सारी।
कुंज बिहारी गिरवर धारी।।
श्री पुरुषोत्तम गिरिवर धारी।
आरती करत सकल ब्रजनारी।।
नन्दनन्दन वृषभानु किशोरी।
'परमानन्द' स्वामी अविचल जोरी।।
तन-मन-धन न्यौछावर कीजै।।
गौर श्याम मुख निखरत रीजै।
प्रभु का रूप नयन भर पीजै।।
रवि शशि कोटि बदन की शोभा।
ताहि निरखि मेरा मन लोभा।।
कंचन थार कपूर की बाती।
हरि आये निर्मल भई छाती।।
फूलन की सेज फूलन की माला।
रत्न सिंहासन बैठे नन्दलाला।।
मोर मुकुट कर मुरली सोहै।
नटवर वेष देख मन मोहै।।
औढे़ नील पीत पट सारी।
कुंज बिहारी गिरवर धारी।।
श्री पुरुषोत्तम गिरिवर धारी।
आरती करत सकल ब्रजनारी।।
नन्दनन्दन वृषभानु किशोरी।
'परमानन्द' स्वामी अविचल जोरी।।
आरती श्री लक्ष्मी रमणा जी की
जय लक्ष्मी रमणा, जय लक्ष्मी रमणा,
शरणागत जय शरणा गोवर्धन धरणा। जय ....
जय जय जमुना तट निकटित प्रगटित वटुवेषा,
अट्पट गोपी कुच तट पर नटवर वेषा। जय ....
जय मुजलीधर अलंकृत गोपीजन लीले,
तुम भक्ति में भावतु ब्रज ललना मीले। जय ...
जय जय जय रघुबीर कन्सारे,
पति कृप्या तारे संसारे। जय ....
जय जय गोपी पालक बन्धो,
जय माता तुम कृष्ण कृपासिन्धु। जय ...
जय जय भक्त्जन प्रतिपालक चिरजीवो विष्णो,
मामुद्धर दीनो धरणीधर विष्णो। जय ....
जय जय करुणा करु
करुणा दास सखासिख मे। जय...
शरणागत जय शरणा गोवर्धन धरणा। जय ....
जय जय जमुना तट निकटित प्रगटित वटुवेषा,
अट्पट गोपी कुच तट पर नटवर वेषा। जय ....
जय मुजलीधर अलंकृत गोपीजन लीले,
तुम भक्ति में भावतु ब्रज ललना मीले। जय ...
जय जय जय रघुबीर कन्सारे,
पति कृप्या तारे संसारे। जय ....
जय जय गोपी पालक बन्धो,
जय माता तुम कृष्ण कृपासिन्धु। जय ...
जय जय भक्त्जन प्रतिपालक चिरजीवो विष्णो,
मामुद्धर दीनो धरणीधर विष्णो। जय ....
जय जय करुणा करु
करुणा दास सखासिख मे। जय...