Bhavishya puran भविष्य पुराण - भगवान नर नारायण की वन्दना
महर्षि मार्कण्डेय जी कहते है - भगवन्! आप अंतर्यामी, सर्वव्यापक, सर्वस्वरूप, जगद्गुरु, परमाराध्य और शुद्ध स्वरूप है| समस्त लौकिक और वैदिक वाणी आपके अधीन है| आप ही वेद मार्ग के प्रवर्तक हैं| मैंन आपके इस युगल स्वरूप नरोत्तम नर और ऋषिवर नारायण को नमस्कार करता हूँ| प्रभो! वेद मे आपका साक्षात्कार करने वाला वह शान पूर्ण रूप से विद्यमान है, जो आपके स्वरूप का रहस्य प्रकट करता है| ब्रह्मा आदि बड़े-बड़े प्रतिभाशाली मनीषी उसे प्राप्त करने का यत्न करते रहने पर भी मोह मे पॅड जाते है| आप भी एसे ही लीला विहारी है कि विभिन्न मत वाले आपके सम्बंध मे जैसा सोचते-विचरते है, वैसा ही शील-स्वभाव और रूप ग्रहण करके आप उनके सामने प्रकट हो जाते हैं| वास्तव मे आप देह आदि समस्त उपाधियों मे छिपे हुये विशुद्ध विज्ञानघन ही हैं| हे पुरुषोत्तम! मैं आपकी वन्दना करता हूँ|
भविष्य पुराण - वैदिक स्तवन
अखिल ब्रह्माण्ड मे जो कुछ भी जड़-चेतन स्वरूप जगत है, यह समस्त ईइश्वर से व्याप्त है| उस ईश्वर को साथ रखते हुये त्याग पूर्वक भोगते रहो| आसक्त मत हो जाओ, क्योंकि धन- भोज्य-पदार्थ किसका है अर्थात किसी का भी नहीं है|
हमारे लिये मित्र देवता कल्याणप्रद हो| वरुण कल्याणप्रद हों| चक्षु और सूर्य मंडल के अधिष्ठाता हमारे लिये कल्याणकारी हों, इन्द्र, वृहस्पति हमारे लिये शांती प्रदान करने वाले हो| त्रिविक्रम रूप से विशाल डगों वाले विष्णु हमारे लिये कल्याणकारी हों| ब्रह्म के लिये नमस्कार है| हे वायुदेव! तुम्हारे लिये नमस्कार है, तुम ही प्रत्यक्ष ब्रह्म हो| तुमको ही प्रत्यक्ष ब्रह्म कहूंगा, ऋत के अधिष्ठाता तुम्हे, सत्यनाम सर्वेश्वर, सर्व शक्तिमान परमेश्वर मेरी रक्षा करे, वह वक्ता की अर्थात आचार्य की रक्षा करे, रक्षा करे, मेरी रक्षा करे मेरे आचार्य की| भगवान शांतिस्वरूप हैं, शांतिस्वरूप है, शांतिस्वरूप हैं|
जो तेजोमय किरणों के पुंज हैं, मित्र, वरुण तथा अग्नि आदि देवताओं एवं समस्त विश्व के प्राणियों के नेत्र हैं और स्थावर और जंगम सबके अन्तर्यामी आत्मा है, वे भगवान सूर्य आकाश, पृथ्वी, और अंतरिक्ष लोक को अपने प्रकाश से पूर्ण करते हुये आश्चर्य रूप उदित हो रहे हैं|
मैं आदित्य-स्वरूप वाले सूर्य मंडल रथ महान पुरुष को, जो अंधकार से सर्वथा परे, पूर्ण प्रकाश देने वाले और परमात्मा है, उनको जानता हूँ, उन्हीं को जानकर मनुष्य मृत्यु को लाँघ सकता है| मनुष्य के लिये मोक्ष-प्राप्ति का दूसरा कोई अन्य मार्ग नहीं है|